- सिक्तआकार
- सितं
- सितता
- सितमश्नियात्
- सिता दर्शनं
- सिता वर्ण
- सिद्धान्तः
- सिन्दुराभ
- सिराजालं
- सिराजालगवाक्षितं
- सिराजालस्फुरण
- सिराततः
- सिरातनुत्वं
- सिरादर्शन
- सिराभि असंवृत मुखं
- सिरावनद्धराजीकं
- सिरावृत
- सिराहर्षः
- सिंह
- सीधु
- सीवनी
- सुक्ष्म
- सुक्ष्मः
- सुक्ष्म शरीर
- सुक्ष्मखचितं
- सुक्ष्मद्वार गुद
- सुक्ष्मै शल्यै आचितं इव अक्षि
- सुख
- सुख
- सुखनिर्मोच्य पत्रम्
- सुखस्च कालयोग
- सुखायु
- सुगन्ध
- सुगन्धपिष्टसूतेन
- सुगन्धामलक
- सुगन्धि
- सुगन्धी त्रिफला
- सुचरित
- सुचिरत
- सुचिरोत्थितान्
- सुतेज
- सुदारुणं अक्षि
- सुदीन
- सुदुर्बलः अग्नि
- सुपक्वं
- सुपपतिधनुष्प्रभं रक्तं
- सुप्तं
- सुप्तच्छवि
- सुप्तःजिह्वा
- सुप्तता
- सुप्तिः
- सुबहुशः मूत्रं
- सुबाधकम्
- सुमनगन्ध
- सुरभिगन्ध
- सुरा
- सुरा इच्छा
- सुरातुल्यं मूत्रं
- सुराबीज
- सुराविकार इच्छा
- सुराविकृति द्वेष
- सुरासुर
- सुरुचिरः
- सुरेन्द्रगोपप्रतिमं रक्तं
- सुलुलित अक्षि
- सुवर्ण
- सुशुष्कं छर्दि
- सुषिर दन्त
- सुषुप्तिः
- सुषूयन
- सूक्ष्मं
- सूक्ष्मदंष्ट्रापद
- सूचिभि इव तोद
- सूचिभि तुद्यमानेन इव
- सूचीपाषं न पश्यति
- सूच्या इव
- सूत
- सूतिकया दष्ट
- सूत्रं
- सूत्रेण
- सूप
- सूयन
- सृष्ट पुरीषं
- सृष्ट मूक्षता
- सृष्टविट्कः अपि भूय वेगशङ्की
- सैन्धव लवण
- सोग्रगन्ध्यसृक्
- सौगन्धिक्
- सौमनस्यजननं
- सौम्य
- सौम्य दर्शनं
- सौर्वचल लवण
- सौवीर
- सौषिर्य
- सौषिर्यम् अस्थि
- सौहित्य
- सौहित्यं असहत्व
- स्कन्धः
- स्कन्धि रक्तं
- स्कन्न
- स्खलत् गति
- स्खलत् वाक्
- स्खलित ईष्टा
- स्तगण दर्शनं अर्केस्तमस्तकन्यस्तगभस्तो-
- स्तनः
- स्तननं
- स्तनसंदंश
- स्तन्य
- स्तन्यजनन
- स्तन्यद्वेष
- स्तन्यपानं किङ्चित्
- स्तन्यशोधन
- स्तब्ध
- स्तब्ध दर्शनं
- स्तब्ध रोमता
- स्तम्भ
- स्तम्भ पुरीष प्रवर्तनम्
- स्तम्भनं
- स्तिमित
- स्तैमित्य
- स्तोकं
- स्तोकं स्तोकं
- स्त्यानं
- स्त्यानता
- स्त्रक्
- स्त्रीपुष्पहरण
- स्थानसंश्रय
- स्थापना
- स्थाली यन्त्र
- स्थावरं
- स्थितं
- स्थिर
- स्थिरः नयनः
- स्थिरः हनू
- स्थिरता
- स्थूल
- स्थूलाक्षः
- स्थैर्य
- स्थौल्य
- स्नपन
- स्नान
- स्नानं इच्छा
- स्नायु
- स्नायु जालावत्
- स्निग्ध
- स्निग्ध दर्शनं
- स्निग्ध वर्ण
- स्निग्ध- अश्नियात्
- स्निग्धान उपाचरेत्
- स्नेह
- स्नेह दग्ध
- स्नेहगन्ध मुखम्
- स्नेहाभ्यक्त इव रोम
- स्नेहोपग
- स्पन्दन
- स्पर्श
- स्पर्श अज्ञानं
- स्पर्श असहत्व
- स्पर्श द्वेष
- स्पर्श नाश
- स्पर्श वैगुण्यं
- स्पर्श हानि
- स्पर्शन
- स्पर्शनाक्षमं
- स्पर्शनासह
- स्पर्शनेन्द्रिय
- स्पर्शम् न सुषूयते
- स्पर्शरुक्
- स्पर्शोद्विग्न
- स्पष्ट सिरा
- स्पष्ट स्नायुगण
- स्फटिक सन्निभं
- स्फटिकच्छाय
- स्फटिकाभं
- स्फिक्
- स्फुटति इव
- स्फुटन रोम
- स्फुटनं सन्धि
- स्फुटनान्वित दन्त
- स्फुटम्
- स्फुटित
- स्फुर
- स्फुरण
- स्फुरणं चिरात्
- स्फुरति इव
- स्फोटन
- स्फोटरहितं
- स्फोटै चिता जिह्वा
- स्मृति
- स्मृति अपध्वंसनं
- स्मृति अपाय
- स्मृति उपघात
- स्मृति क्षय
- स्मृति प्रमोह
- स्मृति भ्रंश
- स्मृति मोह
- स्मृति विभ्रम
- स्मृति संप्लव
- स्मृति हानि
- स्मृतिविभ्रंश