- वृत्यार्थ
- वृद्धि
- वृद्धि
- वृन्ताक मूषा
- वृषणः
- वृषता
- वॄत्त
- वॄत्तिकर
- वॄश्चनं
- वॄश्चिका
- वॄष्यं
- वेग
- वेग अप्रादुर्भाव
- वेगवत्
- वेगस्रावी
- वेगान्तर
- वेदनं श्वास
- वेदना स्थापन
- वेपथु
- वेपन
- वेशवार
- वेशवार
- वेशवाराभं
- वेश्मनः विभूषा
- वेष्टन
- वेष्टन
- वेष्टनै इव पार्श्व
- वैकरञ्जः
- वैकल्य
- वैकृत्य इन्द्रिय
- वैगन्ध्य
- वैगुण्यं अधोवायु
- वैचित्यं
- वैडूर्यवर्ण दृष्टि मण्डलं
- वैदल वर्ग
- वैद्यभाग
- वैद्यवशग
- वैभत्स्यं
- वैरस्यं
- वैवर्ण्य
- वैशेषिकः
- वैशेषिक गुण
- वैश्रुत्यं
- वैस्वर्यं
- व्यकुलत्व कर्णं
- व्यक्त
- व्यक्तानुकूल अकस्मात् दर्शनं
- व्यतिरेकव्याप्तिः
- व्यथन
- व्यथा
- व्यथित इन्द्रिय
- व्यथितचेत
- व्यध
- व्यपदेशस्तु भूयसा
- व्यवसायः
- व्यवस्थितत्व
- व्यवाय
- व्यवायी
- व्याख्यानम्
- व्याघ्र
- व्याधिक्षमत्व
- व्यान वायु
- व्यापादनं
- व्याप्ति
- व्यायाम
- व्यायाम असहत्वं
- व्यायाम शक्ति
- व्यालीढ
- व्यालुप्तम्
- व्याविद्धं इव दर्शनं
- व्यावृतिः अक्षि
- व्यास
- व्युदासः
- व्युषित
- व्रण
- व्रण मुखात् पुरीषप्रवर्तनं
- व्रणद्वारावसादी रक्तं
- व्रणै अधोवायु
- व्रणैः मूत्रं
- व्रतः
- शकुनिगन्ध
- शकृत
- शकृत् छर्दि
- शकृत् सृजत् मूत्रं
- शक्र धनुष्प्रभम्
- शक्रचापगुण दर्शनं
- शक्रधनुष्प्रभं रक्तं
- शंखः
- शंख चुर्णवर्णं मूत्रं
- शंखपाण्डुर दृष्टिमण्डल
- शंखावभासं
- शंखैः आचितं इव
- शङ्का विषं
- शङ्कितं दर्शनं
- शतन
- शतनं दन्तकपाल
- शतनं पक्ष्म
- शनैः
- शनैः शनैः मूत्रं
- शब्दः
- शब्द
- शब्द असहत्व
- शब्द प्रबलं छर्दि
- शब्दवत् दन्त
- शब्दवत् पुरीषम्
- शब्दानुकरणं असाम्ना
- शब्दायन
- शमन
- शमी धान्य
- शयन इच्छा
- शय्या
- शय्या इच्छा
- शय्यां पादेन हननं
- शरीरः
- शरीर वृद्धिकर भव
- शरीर संपत्
- शरीरस्थं उपभोगं
- शरीरोपकारक
- शर्करा सह मूत्रं
- शव
- शवगन्ध
- शाक
- शाक वर्ग
- शाकछदनप्रकाशा
- शाकपत्रखर
- शाखाद मेद
- शाखादष्ट
- शाण
- शाण्डाकी
- शातः
- शातनं
- शाद्वलप्रभं पुरीषं
- शान्तः
- शान्ताग्नि
- शान्ताङ्गारप्रकाश
- शान्तात्मा
- शारीर गुण
- शारीर व्रण
- शारीर सात्म्य
- शालिशुष्काभराजी अक्षि
- शाश्वतम्
- शास्त्र
- शास्त्रप्रामाण्य
- शिखि
- शिखिननृत्यत इव दर्शनं
- शिखिपत्राभ दर्शनं
- शिण्डाकी
- शिथिलं इन्द्रिय
- शिथिलता
- शिथिलम्
- शिम्बि धान्य
- शिर
- शिरोधरः
- शिरोविरेचन द्रव्य
- शिरोविरेचनोपग
- शिरोऽभितापी
- शिलापट्ट्
- शिशिर
- शिशिर इच्छा
- शिशिर द्वेष
- शिशिरैर्न लोमहर्षो
- शीघ्र
- शीघ्र द्रावम्
- शीघ्रगं रक्तं
- शीघ्रगामिनः
- शीत
- शीत अग्नि
- शीत असहत्व
- शीत इच्छा
- शीत उच्छ्वास
- शीत द्वेष
- शीतकषाय
- शीतता
- शीतप्रशमन
- शीतलं
- शीतवर्षानिलैर्दग्ध
- शीतस्पर्श
- शीताभिः अध्भिः वृद्धि
- शीतासह
- शीतीभूतं
- शीर्ण
- शीर्ण रोम
- शीर्णता
- शीर्यन्त इव अस्थि
- शीर्यमाणः तनूरुहः
- शीर्षः
- शीलः
- शीलविभ्रम
- शीलवैकृतं अल्पं
- शुक
- शुक
- शुकपूर्णाभ कण्ठ
- शुक्त
- शुक्त
- शुक्त पाक
- शुक्ति
- शुक्ति धौतं इव आभाति अस्थि
- शुक्र धातु
- शुक्रजनन
- शुक्रप्रवर्तनं मूत्रयुतः पाक् पश्चात् वा